21 May 2013

आखिर क्यों खेती को बचाना जरूरी है ...कृषि लोन की असली कहानी ...

जरूर पढ़ें व् फेलायें : 

http://www.jagran.com/editorial/apnibaat-agricultural-loans-distributed-10396705.html


http://epaper.patrika.com/91138/Rajasthan-Patrika-Jaipur/20-02-2013#page/10/2





जून 2013:   2013-14 में 7 लाख करोड़ कृषि लोन देने  घोषणा की गयी ...और अगर समय पर वापस देने पर सिर्फ 4% ब्याज ….
पिछले साल 2012-13, में  5.75 लाख करोड़ और 2011-12 में 4.75 लाख करोड़ लोन दिया गया ...

पिछले 10 सालों में कृषि लोन 750 % बढ़ा  है  मगर फिर भी पिछले 15 सालों में लगभग 3 लाख किसानों ने आत्म-हत्याएं करी हैं ...

40% किसान खेती छोड़ना चाहते है और शहरों की तरफ पलायन करना चाहते हैं

पुरे लोन का सिर्फ 6% ही किसानों को जाता है .. बाकी उद्योगपतियों या कॉरपोरेट को जाता है ... मतलब लगभग सिर्फ 50 हज़ार करोड़ रूपये ही किसानों तक पहुचता है ..
दिल्ली और चंडीगढ़ में दिया जाता है .. जबकि झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और बिहार में लोन नहीं दिया ..आप ही बताये की कितने किसान इन शेहरो में है .. और जहा सही मायनों में जरूरत है वही लोन मिला नहीं ..
RBI 2001 से पहले .. यानी 1990 से जानता है की बड़े बड़े कॉर्पोरेट जैसे sprinker irigration, drip irrigation आदि बिचोलिये ही लोन का बड़ा हिस्सा लेते है ...

अमेरिका में गरीबों को कूपन दिया जाता है ... फिर भी वहाँ  5 करोड़ लोग भूक से पीडित हैं .. अमेरिका में हर 4 में से 1 गरीब है और हर 7 में से 1 भूका है ..

खेती का संकट और कूपन का रोल : सरकार चाहती है की किसान खेती छोड़े, गरीब आदमी उस कूपन को भोग करेगा इसका मतलब सरकार को राशन दुकानों की जरूरत नहीं रहेगी .. इसलिए सरकार को खाद भंडार की भी जरूरत नहीं रहेगी और FCI जैसे संस्थानों की भी जरूरत ख़त्म कर दी जायेगी ..... कहने का मतलब भंडार व्यस्था को ख़तम किया जा रहा है ...
अब अनाज को वायदा बाजार में दाल जा रहा है .. उसमे तो सत्ता होता है ... वही कीमत भी निर्धारित करता है ... उसे Future  Trading कहते है ... दुनिया में रेट बढ़ने का काम यही वायदा बाजार ही करता है ..
इसमें जितना अनाज पैदा नहीं होता, उससे 46 गुणा का व्यापार हो रहा है ..
मक्के का 24 गुणा व्यापर हो रहा है .. जो की सही में पैदा ही नहीं हुआ ... मतलब ये सब एक बुलबुला है .. इससे कोई रोजगार भी सर्जन नहीं होता ...

हैदराबाद की एक रिपोर्ट है .. उसमे बताया गया की सबसे ज्यादा रोजगार भारत में मंदिर मस्जिद चर्चेस और गुरुद्वारा से मिल रहा है ... और दूसरा है सिक्योरिटी गार्ड से ..

हम देश की सम्पन्नता को खेती से अलग नहीं कर सकते ..तो जरूरत है खेती को संपन्न करने की ..

अब लोग सोचेंगे की हमे किसानों से क्या लेना देना ..
GM Foods कोई जीन कीड़े का निकल के आदमी में .. बकरे का जीन आदमी में दाल सकते है ..जैसे मनुष्य के अन्दर 25 हजार और धान में 37 हजार जीन होते है ... इन्हें ही आपस में बदला जा रहा है .. व्यज्ञानिक कहेंगे की अब आपको डाईरा नहीं होगा इत्यादि .. ये मिलावट पूरी दुनिया में चल रही है ..
एक तरफ तो adulteration हो रही है हम सभी  रहे है ... और दूसरी तरफ ये GM Foods भारत में लाये जा रहे है ..
   
BT बेंगन .. BT  Bacillus thuringiensis नाम का कीड़ा है .. भारत सरकार ने बायोटेक्नोलॉजी रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया बिल BRAI रखा है और इसे पास करने की कोशिश हो रही है .... इसमें सिर्फ और सिर्फ कंपनियों का ही फायदा है ..

इसका अध्यन चूहों पर किया गया .. अगर आप फोटो देखेगो ... उनको बड़े बड़े टुमोर हो गए कैंसर के .. अगर चूहों में GM फूड्स का ऐसा असर है तो मनुष्य में कैसा होगा ...

हम जितना बीमार होंगे . उतनी इकनोमिक ग्र्वोथ होगी .. जितना भोजन हमारा ख़राब होगा .. बीमार होङ्गे। दवाइयों पर खर्च बढेगा .. हॉस्पिटल पर कर्च होगा .. इन्शुरन्स को बढ़ावा मिलेगा .. इसलिए FDI इन इन्शुरन्स आ चूका है ...

कहा जाता है की जहाँ तराक्की हुयी है वह किसान ख़तम हुए है .. अमेरिका और यूरोप में किसान ख़तम हुए है ...

पर हमरे यहाँ 60 करोड़ किसान है .. जो अमेरिका की कुल आबादी से भी दुगना है ...  हमारे पास तो दूसरा को रास्ता ही नहीं .. हमारे यहाँ की स्थिति अलग है .. उनके यहाँ अलग है .. तो हमारे यहाँ अलग व्यस्था होनी चाहिए ..

हमें किसानों की स्थिति को सुधारना ही होगा ... जैसा गाँधी जी ने कहा था की हमारे यहाँ तो  "Production by the Masses"  होना चाहिए न की  Production for the masses...

   



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