03 September 2013

बबासीर (Piles) के इलाज़ के लिए ...







पाइल्स (मस्सा) का दर्द का बहुत ही पेनफुल होता है। अगर आपको भी पाइल्स की प्रॉब्लम है, तो आप इन घरेलू नुस्खों को अपनाकर इससे राहत पा सकते हैं-
अपनी डाइट में मूली का जूस शामिल करें। इससे आपको पाइल्स के दर्द में राहत मिलेगी। आप शुरुआत में एक चौथाई कप मूली का जूस लें। फिर धीरे- धीरे इसकी मात्रा बढ़ाते जाएं। एक दिन में दो बार जूस लें।

- पूरी रात तीन से चार अंजीर पानी में भिगो दें। फिर अंजीर और उसके पानी को दिन में कई बार पीएं। इससे पाइल्स का दर्द कम होगा।

- अनार के छिलकों को पानी में भिगो दें। फिर छिलकों को पानी से हटा दें। आपको जब भी प्यास लगे, इस पानी को पीएं।

- अगर पाइल्स का दर्द है और आपको आराम नहीं मिल रहा है, तो आप लस्सी में नमक, अदरक और पिपरकॉर्न मिलाकर पीएं। इससे आपको दर्द में जरूर राहत मिलेगी।

- आपको ब्लीडिंग हो रही है, तो आप आधा कप दूध में सरसों के दानों का पाउडर और चीनी मिलाकर मिलाएं। इसे खाली पेट सुबह पीएं।

- आम की गुठली के पाउडर में थोड़ा सा शहद मिला लें। फिर इसे दिन में दो बार लें। इससे आपको पाइल्स के पेन में आराम मिलेगा।

- एक चम्मच नीबू का रस, अदरक का रस और पुदीने के रस के साथ शहद मिलाकर पीएं। इससे आपको जरूर राहत मिलेगी।

- अगर पाइल्स का दर्द बहुत तेज हो रहा है, तो आप एक कप दूध में एक केले को अच्छे से मैश कर लें। फिर इसे दिन में दो से तीन बार पीएं।

- जामुन से पाइल्स में काफी हद तक आराम मिलता है। वैसे, यह फल गर्मियों के दिनों में ही मिलता है। ऐसे में आपको जामुन का भरपूर यूज करना चाहिए। आपको अगर पाइल्स की शिकायत है, तो आप एक मुट्ठी जामुन को नमक के साथ लें। आप इन्हें सुबह खाली पेट ही खाएं। इससे आपको पाइल्स में काफी रिलीफ मिलेगा।

- दो चम्मच शहद के साथ प्याज का जूस मिलाएं। इसे आप दिन में दो बार लें।

10 July 2013

कैंसर का इलाज़ व् जानकारी

आदरणीय भाइयो  और बहनों :

जरूर सुनें, डाउनलोड करें और फेलायें :
http://www.youtube.com/watch?v=PiRLcKNNKno

राजीव दीक्षित 

फ्री ट्रीटमेंटके लिए कॉल करें: 09866548278


कैंसर बहुत तेज़ी से बड़ रहा है इस देश में । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे है और हर साल नए Cases आ रहे है । और सभी डॉक्टर्स हात-पैर डाल चुके है । राजीव भाई की एक छोटी सी विनती है याद रखना के … " कैंसर के patient को कैंसर से death नही होती है, जो treatment दिया जाता है उससे death होती है " । माने कैंसर से जादा खतरनाक कैंसर का treatment है । Treatment कैसा है आप सभी जानते है .. Chemotherapy दे दिया, Radiotherapy दे दिया, Cobalt-therapy दे दिया । इसमें क्या होता है के शारीर का जो प्रतिरक्षक शक्ति है Resistance वो बिलकुल ख़तम हो जाते है । जब Chemotherapy दिए जाते है ये बोल कर के हम कैंसर के सेल को मारना चाहते है तो अछे सेल भी उसी के साथ मर जाते है । राजीव भाई के पास कोई भी रोगी जो आया Chemotherapy लेने के बाद वे उनको बचा नही पाए । लेकिन इसका उल्टा भी रिकॉर्ड है .. राजीव भाई के पास बिना Chemotherapy लिए हुए कोई भी रोगी आया Second & third Stage तक वो एक भी नही मर पाया अभी तक ।

मतलब क्या है Treatment लेने के बाद जो खर्च आपने कर दिया वो तो गया ही और रोगी भी आपके हात से गया । डॉक्टर आपको भूल भुलैया में रखता है अभी 6 महीने में ठीक हो जायेगा 8 महीने में ठीक हो जायेगा लेकिन अंत में वो जाता ही है , कभी हुआ नही है के Chemotherapy लेने के बाद कोई बच पाया हो । आपके घर परिवार में अगर किसीको कैंसर हो जाये तो जादा खर्चा मत करिए कियों की जो खर्च आप करेंगे उससे मरीज का तो भला नही होगा उसको इतना कष्ट होता है की आप कल्पना नही कर सकते ।

उसको जो injections दिए जाते है, जो Tablets खिलाई जाती है, उसको जो Chemotherapy दी जाती है उससे सारे बाल उड़ जाते है, भ्रू के बाल उड़ जाते है, चेहरा इतना डरावना लगता है के पहचान में नही आता ये अपना ही आदमी है। इतना कष्ट कियों दे रहे हो उसको ? सिर्फ इसलिए के आपको एक अहंकार है के आपके पास बहुत पैसा है तो Treatment कराके ही मानुगा ! होता ही नही है वो, और आप अपनी आस पड़ोस की बाते जादा मत सुनिए क्योंकि आजकल हमारे Relatives बहुत Emotionally Exploit करते है । घर में किसीको गंभीर बीमारी हो गयी तो जो रिश्तेदार है वो पहले आके कहते है ' अरे All India नही ले जा रहे हो? PGI नही ले जा रहे हो ? Tata Institute बम्बई नही ले जा रहे हो ? आप कहोगे नही ले जा रहा हूँ मेरे घर में ही चिकित्सा .... अरे तुम बड़े कंजूस आदमी हो बाप के लिए इतना भी नही कर सकते माँ के लिए इतना नही कर सकते " । ये बहुत खतरनाक लोग होते है !! हो सकता है कई बार वो Innocently कहते हो, उनका intention ख़राब नही होता हो लेकिन उनको Knowledge कुछ भी नही है, बिना Knowledge के वो suggestions पे suggestions देते जाते है और कई बार अच्छा खासा पड़ा लिखा आदमी फंसता है उसी में .. रोगी को भी गवाता है पैसा भी जाता है ।


कैंसर के लिए क्या करे ? हमारे घर में कैंसर के लिए एक बहुत अछि दावा है ..अब डॉक्टर ने मान लिया है पहले तो वे मानते भी नही थे; एक ही दुनिया में दावा है Anti-Cancerous उसका नाम है " हल्दी " । हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखता है । हल्दी में एक केमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन (Carcumin) और ये ही कैंसर cells को मार सकता है बाकि कोई केमिकल बना नही दुनिया में और ये भी आदमी ने नही भगवान ने बनाया है । हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीस में है वो है देशी गाय के मूत्र में । गोमूत्र माने देशी गाय के शारीर से निकला हुआ सीधा सीधा मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो । तो देशी गाय का मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का इलाज आसानी से कर पायेंगे । अब देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना । Room Temperature में आने के बाद रोगी को चाय की तरहा पिलाना है .. चुस्किया ले ले के सिप कर कर । एक और आयुर्वेदिक दावा है पुनर्नवा जिसको अगर आधा चम्मच इसमें मिलायेंगे तो और अच्छा result आयेगा । ये Complementary है जो आयुर्वेद के दुकान में पाउडर या छोटे छोटे पीसेस में मिलती है ।


इस दावा में सिर्फ देशी गाय का मूत्र ही काम में आता है जेर्सी का मूत्र कुछ काम नही आता । और जो देशी गाय काले रंग का हो उसका मूत्र सबसे अच्छा परिणाम देता है इन सब में । इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा ) सही अनुपात में मिलाके उबालके ठंडा करके कांच की पात्र में स्टोर करके रखिये पर बोतल को कभी फ्रिज में मत रखिये, धुप में मत रखिये । ये दावा कैंसर के सेकंड स्टेज में और कभी कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अछे परिणाम देते है । जब स्टेज थर्ड क्रोस करके फोर्थ में पोहुंच गया तब रिजल्ट में प्रॉब्लम आती है । और अगर अपने किसी रोगी को Chemotherapy बैगेरा दे दिया तो फिर इसका कोई असर नही आता ! कितना भी पिलादो कोई रिजल्ट नही आता, रोगी मरता ही है । आप अगर किसी रोगी को ये दावा दे रहे है तो उसे पूछ लीजिये जान लीजिये कहीं Chemotherapy सुरु तो नही हो गयी ? अगर सुरु हो गयी है तो आप उसमे हात मत डालिए, जैसा डॉक्टर करता है करने दीजिये, आप भगवान से प्रार्थना कीजिये उसके लिए .. इतना ही करे । और अगर Chemotherapy स्टार्ट नही हुई है और उसने कोई अलोप्यथी treatment सुरु नही किया तो आप देखेंगे इसके Miraculous रिजल्ट आते है । ये सारी दवाई काम करती है बॉडी के resistance पर, हमारी जो vitality है उसको improve करता है, हल्दी को छोड़ कर गोमूत्र और पुनर्नवा शारीर के vitality को improve करती है और vitality improve होने के बाद कैंसर cells को control करते है ।


तो कैंसर के लिए आप अपने जीवन में इस तरह से काम कर सकते है; इसके इलावा भी बहुत सारी मेडिसिन्स है जो थोड़ी complicated है वो कोई बहुत अच्छा डॉक्टर या वैद्य उसको हंडल करे तभी होगा आपसे अपने घर में नही होगा । इसमें एक सावधानी रखनी है के गाय के मूत्र लेते समय वो गर्वबती नही होनी चाहिए। गाय की जो बछड़ी है जो माँ नही बनी है उसका मूत्र आप कभी भी use कर सकते है। ये तो बात हुई कैंसर के चिकित्सा की, पर जिन्दगी में कैंसर हो ही न ये और भी अच्छा है जानना । तो जिन्दगी में आपको कभी कैंसर न हो उसके लिए एक चीज याद रखिये के, हमेसा जो खाना खाए उसमे डालडा तो नही है ? उसमे refined oil तो नही है ? ये देख लीजिये, दूसरा जो भी खाना खा रहे है उसमे रसेदार हिस्सा जादा होना चाहिए जैसे छिल्केवाली डाले, छिल्केवाली सब्जिया खा रहे है , चावल भी छिल्केवाली खा रहे है तो बिलकुल निश्चिन्त रहिये कैंसर होने का कोई चान्स नही है। और कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से दो तिन कारन है, एक तो कारन है तम्बाकू, दूसरा है बीड़ी और सिगरेट और गुटका ये चार चीजो को तो कभी भी हात मत लगाइए क्योंकि कैंसर के maximum cases इन्ही के कारन है पुरे देश में ।


कैंसर के बारे में सारी दुनिया एक ही बात कहती है चाहे वो डॉक्टर हो, experts हो, Scientist हो के इससे बचाओ ही इसका उपाय है । महिलाओं को आजकल बहुत कैंसर है uterus में गर्वशय में, स्तनों में और ये काफी तेजी से बड़ रहा है .. Tumour होता है फिर कैंसर में convert हो जाता है । तो माताओं को बहनों को क्या करना चाहिए जिससे जिन्दगी में कभी Tumour न आये ? आपके लिए सबसे अच्छा prevention है की जैसे ही आपको आपके शारीर के किसी भी हिस्से में unwanted growth (रसोली, गांठ) का पता चले तो जल्द ही आप सावधान हो जाइये । हलाकि सभी गांठ और सभी रसोली कैंसर नही होती है 2-3% ही कैंसर में convert होती है लेकिन आपको सावधान होना तो पड़ेगा । माताओं को अगर कहीं भी गांठ या रसोली हो गयी जो non-cancerous है तो जल्दी से जल्दी इसे गलाना और घोल देने का दुनिया में सबसे अछि दावा है " चुना " । चुन वोही जो पान में खाया जाता है, जो पोताई में इस्तेमाल होता है वो नहीं ; पानवाले की दुकान से चुना ले आइये
उस चुने को कनक के दाने के बराबर रोज खाइये; इसको खाने का तरीका है पानी में घोल के पानी पी लीजिये, दही में घोल के दही पी लीजिये, लस्सी में घोल के लस्सी पी लीजिये, डाल में मिलाके दाल खा लीजिये, सब्जी में डाल के सब्जी खा लीजिये । पर ध्यान रहे पथरी के रोगी के लिए चुना बर्जित है ।

April 2013: The flip side of growth. 33,318 died of Cancer in Punjab in five years, 23,874 fresh cases found, says Punjab Health Minister. This is the outcome of a door-to-door survey.


आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।

वन्देमातरम ।।

04 July 2013

भारतीय POP Culture एक बहुत बड़ा धोका है : राजीव मल्होत्रा




Secularism in India is the seclusion of Dharmic History of India from its very own People of India.. It is a process to subvert the truth to coming out in the public domain.


We are NOT free, unless our minds are still enslaved.
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Rajiv Malhotra

हिंदी में रूपांतरित :

भारत में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ भारत के अपने ही लोगों को भारत की धार्मिक इतिहास/मान्यताओं  से दूर करना हो गया है ...  यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो सत्य को दूर(नष्ट) करके उसे आम लोगों तक नहीं पहुचने दे रही !

The history of india has been erased, changed and altered by Abhrahmic elite, who re-created Indian education system,  laws, and media, to create a new society based on those distortions and called this Secularism...




How does digestion of Hinduism by Christianity works


 







30 June 2013

गो हत्या पर रोक जरूरी : आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों पहलु

 जरूर देखे ...गाय  के बारे में ...

http://www.youtube.com/watch?v=3XY5d3KeN1I


गोहत्या का प्रश्न केवल धार्मिक आस्थाओं से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि देश के अर्थतंत्र, पर्यावरण व जलसंकट जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे इससे सीधे प्रभावित होते हैं। आज बड़ी गंभीरता से यह बात कही जाती है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा, इस दृष्टि से यदि कत्लखानों का विचार करें तो जलसंकट को बढ़ाने में इनकी भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती।

एक कत्लखाने में प्रति पशु पांच सौ लीटर पानी लगता है। हिन्दुस्तान टाइम्स के प्रकाशित एक रपट के अनुसार कोलकाता के मोरी गांव कत्लखाने में 17 लाख 50 हजार लीटर पानी प्रतिदिन लगता है। इसके विपरीत एक व्यक्ति को प्रतिदिन औसतन 25 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि कोलकाता के इस कत्लखाने में करीब 70 हजार लोगों के उपयोग का पानी नष्ट कर दिया जाता है।

मुम्बई के देवनार कत्लखाने में 18 लाख 50 हजार लीटर पानी प्रतिदिन खर्च होता है। यहां लगभग 74 हजार लोगों के उपयोग का पानी नष्ट कर दिया जाता है। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद स्थित कत्लखाने अल कबीर एक्सपोर्ट लिमिटेड में 6 हजार 600 पशु प्रतिदिन काटे जाते हैं। यहां 1 लाख 32 हजार लोगों के उपयोग का पानी प्रतिदिन नष्ट कर दिया जाता है।

गाय का दूध 30 - 40 रु. प्रति किलो की दर से मिलता है। और 600 ml. कोल्ड ड्रिंक 30 rs. की है तो  एक लीटर 50 rs. पड़ा ... जबकि देश में 15 रु. लीटर पानी बिक रहा है। जिस देश में गाय का दूध नहीं बेचा जाता था उस देश में पानी बेचा जा रहा है। ये कत्लखाने जितना पानी बर्बाद कर रहे हैं उससे पानी का संकट देश में कितना गंभीर होने वाला है यह समझा जा सकता है। इसलिए यह विचार करने की आवश्यकता है कि आज देश में पानी की ज्यादा आवश्यकता है या मांस की।


कोलकाता : मोरी गावं :      17 लाख 50 हज़ार लीटर पानी          70 हज़ार लोगों के लायक पानी              3500 जानवरों का क़त्ल

मुंबई: देवनार             :       18 लाख 50 हज़ार लीटर पानी          74 हज़ार लोगो के लायक पानी              3700 जानवरों का क़त्ल

हैदराबाद; अल           :        33 लाख लीटर पानी                         1 लाख 85 हज़ार लोगों के लायक पानी   660 जानवरों का क़त्ल

The Economist (Aug 27, 2008) states: Five big food and beverage companies -- Nestle, Unilever, Coca-Cola, Anheuser-Busch and Danone -- consume almost 575 billion litres of water a year, enough to satisy the daily water needs of every person on the planet.

IPL in 2013 April in MH   1 match takes 3 lakh litre water ..16 match ..   Total 48 lakh litre of water for 8 weeks
 

India produced 3.643 million metric tons  of which 1.963 million metric tons was consumed domestically and 1.680 million metric tons was exported. India ranks 5th in the world in beef production, 7th in domestic consumption and 1st is exporting.


https://www.youtube.com/watch?v=9SK7XgsLsxQ


http://www.business-standard.com/article/pti-stories/muslim-community-in-mathura-hold-anti-cow-slaughter-convention-113061000340_1.html


Nearly 79 lakh cattle slaughtered in Apr 2009-Mar 2012 period

NEW DELHI: The number of cattle slaughtered between April 2009 and March 2012 is estimated at 78.61 lakh, Parliament was informed on Tuesday.

In a written reply to Lok Sabha, minister of state for agriculture Charan Das Mahant said that "the estimated number of cattle slaughtered by States/Union Territories" stood at 24.77 lakh during 2009-10, 23.44 lakh during 2010-11 and 30.4 lakh during 2011-12.

The Minister also informed that there were 1,482 registered slaughter houses across the country at the end of last fiscal.

Maharashtra has 316 registered slaughter houses, followed by Uttar Pradesh at 285 and Andhra Pradesh at 185.

"The data on unauthorised slaughter house for cattle is not available with the department since such information are not collected from States/UTs governments. Registration of slaughterhouses is in the domain of State/UTs governments," Mahant said. 




गाय माता के सभी भक्त जो उन्हें बचाना चाहते है हम से जुड़े !

26 June 2013

अंडे का सच :



http://www.youtube.com/watch?v=261Z8kDhZd4



आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,ब्राह्मणों से लेकर जैनियों तक सभी ने खुल्लमखुल्ला अंडा खाना शुरू कर दिया है ...खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ
मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय मनुष्य) में एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है ..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में ...शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है
इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..
इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा ,
अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर
१) पक्षियों (मुर्गियों) में भी अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ,
२) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है
३) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized)  अण्डे देती है
४) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में (estrogen) हार्मोन के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि ...
वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है
५) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है .
६) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है
7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है

इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है

17 June 2013

WTO: देश को लूटने का षड़यंत्र...



ये है कहानी भारत को कैसे गुलाम बनाया जा रहा है ..... इससे निकलना ही एक मात्र रास्ता है बचने का ....

जरूर देखें और फेलायें : 

http://www.youtube.com/watch?v=94uhgFs5cOc



1 Jan 2005 से WTO  देश में लागू  हुआ
15 Dec. 1994 में हस्ताक्षर किये.... इस बीच सब पार्टियों ने शाशन किया... वे भी जिन्होंने आन्दोलन किया इसके खिलाफ.......

यह ऐसा समझोता जिसमे देश के कृषि, उद्योग, व्यापार, शिक्षा, बैंकिंग, बौधिक सम्पदा, बीमा और  चिकित्सा जैसे सवेदनशील शेत्रो पर असर परेगा और पर  रहा हे.. बल्कि  देश की संप्रुभता ही WTO की गिरवी हो रही है,, चर्च की ही नहीं.....


इसे या तो पूरी तरह से स्वीकार या फिर छोर सकते हे...... (ऐसा नहीं की कुछ बिंदु हम मान ले और कुछ नहीं...)


1 और 2 baar discussion सदस्य देशो के बीच मीटिंग हर साल, 126 से ज्यादा सदस्य...

 28 subujects है, जो अपने आप में अग्रीमेंट हे..

इतिहास:


1930 -- में मंदी आई... उसे दूर करने के लिए World War II (1939-1945) हुआ,  West countries की मान्यता हे की ज्यादा मंदी हुयी तो युद्ध करो... हथियार बढ़ेंगे... पैसा आएगा... क्यों? क्योकि उनका (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, गेरमन्य) मुख्य business हथियार बनाना है और इससे 10 तरह के और उद्योग जुड़े हे...         


1945 UNO बना की अब युद्ध न हो.. लेकिन 325 युद्ध हुए.....

अर्थव्यस्था सुधारने के लिए World बैंक, IMF बने.... पर असल में यह सब दुसरे देशो को गुलाम बनाने के ही नए हथियार थे...

दुसरे विश्व युद्ध में यूरोपीय देश की तबाही ज्यादा हुई, इसलिए वर्ल्ड बैंक ने कम इंटेरेस्ट पे इनको लोन दिया.... अमेरिका को कम नुक्सान हुआ और उसने ब्रिटेन के उपनिवेशवाद को  ख़तम करके... अपने नए तरह के नए तरीके ढूदे ..... जैसे कानून से, कंपनियों को बढ़ावा दे के.. वर्ल्ड बैंक, और इम्फ बना के.... WTO, ETC.

1948 -- विश्व के व्यपार को व्यस्थित और सरल बनाने के उद्देस्य से General Agreement on Trade & Tariff (GATT)(तटकर एव व्यापर पर सामान्य समझोता) बनाया. 30 Oct. 1947 में हस्ताक्षर  किये... Jan. 1948 में लागू ..                  मुख्य  उदेसय:    टैक्स, कस्टम, आयात करो को सुलझाना..          

  
1948-1986 तक व्यापार अच्छा चला...
चीन ने इसे 53 सालो तक इससे स्वीकार नहीं किया...
 
1980 के आस-पास फिर मंदी हुयी यूरोपे और अमेरिका में.. कई कोम्पनीया  बंद हो गयी........ बेरोज़गारी बढ़ गयी.......

फिर युद्ध हुआ:  इरान-इराक  जो की 8 साल तक चला...

फिर खाड़ी युद्ध हुआ:  अफगानिस्तान ...    तो यूरोपे में हर 30-40 साल में मंदी आती हे.. अब उनको स्थायी इलाज़ चाहिए.....
इसलिए उन्होंने इसका आधार बनाया GATT को....
  
IInd Phase:


1986 उरुग्वे की मीटिंग में GATT के शेत्र को बाधा दिया गया... इसमें 28 विषय और जोड़ दिए गए.....
Till 1986  तक किसी भी देश के आंतरिक सम्प्रोभाता से जुड़े मामले GATT में नहीं थे....   लेकिन 1986 में ये दाल दिए गए... जो की किसी भी देश के लिए खतरनाक हे..

Team Head:  Arthor Dunkel (अमेरिका का था)

1986-1991 -- अमेरिका और यूरोपे के सदस्यों ने यह बिल ड्राफ्ट किया.... और 1991 में विचार के लिए टेबल में रख दिया...    

अफ्रीका, एशियन, लातिन अमेरिकेन -- भारत, ब्राज़ील, मिश्रा, Nigeria, ने इसका खुल के विरोध किया...  क्योकि इसमें ज्यादातर शर्ते अमेरिका और यूरोपे के फायदे के लिए ही थी ...


भारत ने कुछ शर्ते जो गरीब देशो के हित में थी उनको रखने की कोशिश करी पर नाकाम रहे.... इसलिए भारत ने कहा की यह भारतीय हितो में नहीं हे... और इसमें हस्ताक्षर करने से मन कर दिया.....उस समय पुरे देश में इसका विरोश हो रहा था....


परन्तु.......     15 Dec. 1994  को भारत की सरकार ने देश के साथ दोखा करके.. व् देश को अँधेरे में रख के इसमें हस्ताक्षर कर दिए.....   


1991-1994 --- चर्चा के समय वर्ष मतलब 4 साल में संसद में सिर्फ 11 घंटे चर्चा हुयी.....  मतलब इतने बड़े, इतने महतवपूर्ण विषय पे जिसमे की देश की संप्रुभता का सवाल था... जिसमे हमारे किसानो का रोज़ी-रोटी, व्यापारिया का जीवन... सब कुछ.. दाव पे लगा था... उसमे सिर्फ इतने घंटे ही बहस....

थोरा सा बहस बंगाल और पूजब में हुयी.... और थोरा सा अखबारों के माध्यम  से.....

इसके मुख्या तीन शेत्र हे....


I. कृषि:

हर देश अपने-अपने किसानो को और कृषि उत्पादन में तरह-तरह से मदद करती हे.... जैसे:
 न्यूनतम समर्थन मूल्य देना..
रासायनिक खाद/कित्नाशाको को सस्ते दरो पर देना..
कम ब्याज पर लोन देना..
किसी मुसीबत के समय लोन माफ़ करना ..या ब्याज का माफ़ करना...
कम कीमत पे बिजली देना....
विदेशो से उत्पादों पे मात्रात्मक प्रतिबन्ध लगाना ताकि हमारे गृह उद्योग, कृषि को नुक्सान न हो.....

WTO में कृषि में मुख्या रूप से 3 शेत्र हे: 

1. Subsidy                                    2. Market Access             
3. उत्पादों को विदेशो में निर्यात की सहयता (विदेशी सामानों को हमारे यहाँ लाने में sahayata)

According Article 3 : ==>  Domestic Support (घरेलु सहायता) i.e.. Subsidy को लगातार कम करना होगा....

        और हमारी सर्कार ने हस्ताकाक्षर करने से लागो करने तक (1994-2005) 24% सुब्सिद्य कम कर दी थी...    और आने वाले प्रत्येक वर्ष में यह कटोती होते-होते 5% तक रह जायेगी.....
         ==> मतलब भारत की सरकार सिर्फ 5% से ज्यादा subsidy नहीं दे सकती ....  यह अलग-अलग या कुल भी हो सकती हे...

Subsidy:      Direct       Indirect         

   
Direct:  किसान कृषि उत्पादों को बाज़ार में बेचता हे... सर्कार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता हे... भारत में यह अंतर-रास्ट्रीय   बाज़ार के खुले मूल्य से अक्सर अधिक होता हे.....
उदहारण:       2005 में कपास का मूल्य         1500 - 1700 rs. per quintal   ---   अंतर-रास्ट्रीय बाज़ार में... (विदेश में..)   
                                                            2000 - 2500 rs. per quintal   ---   रास्ट्रीय बाज़ार में.. (हमारे देश में...)    

तो direct subsidy का मतलब अंतर-रास्ट्रीय   खुले बाज़ार से अधिक मूल्य पर किसानो की फसल खरीदना हे....


Indirect Subsidy:


1.   Urea, DAP, Phosphate किसानो को कम मूल्य पर मिलता हे....  
उदहारण:           100 kg. cost ==>  980 rs.    
                        किसान को कीमत   560 rs.          इसलिए   indirect subsidy  हुयी....   =    420 rs.

2.  कम कीमत पर बीजली, पानी देना.....   

उदहारण:   औधोगिक बीजली  का रेट:   5-6 rs. प्रति यूनिट  हे....      पर किसानो को दी जाती हे...     2-3 rs प्रति यूनिट......

Market Access:
Article 4
भारत  के   बाजारों   को  खोलना  होगा  विदेशी   उत्पादों  के  लिए …   कोई  प्रतिबन्ध  नहीं ….
अभी  मात्रात्मक  प्रतिबन्ध और  आयात  कर  लगाये  जाते  है  ताकि  हमारा बाज़ार  विदेशी  सामानों  से  पट  न  जाए ….
Article 5.4 
ज्यादा  आयात  कर  नहीं  लगा  सकते ……. WTO लागो  होने  तक  (1994-2005)   आयात  कर  में  35% से  70% तक  कमी  कर  दी  थे … सरकार  ने …..   तो  यह  सरकार  तो   हमारे  लिए  काम  ही  नहीं  कर  रही …
Article 7 & 9:
कृषि  उत्पादों  पर  निर्यात  सुब्सिद्य  में  कटोती  व्  अन्य  व्यपार  विरोधी  subsidy में  भी  कटोती  करनी  होगी …
इससे  हमारा  निर्यात  कम  होगा … हमारे  सामान  कम  बिकेंगे … व्  मेहेंगे   बिकेंगे …. जबकि  विदेशी  सामान  सस्ते  मिलेंगे …. तो  हमारे  गृह  व्यापारियों , गृह  उद्योगों  को   मारने  का  षड़यंत्र  हे  ये  WTO….

चाय , कोफ्फी , कपास , सब्जिया , फल , चावल , गेहू , घी , मेवा ,  आद्दी  आदि  में  व्यापार  घटा  ज्यादा  होगा …   उसको  पूरा  करने  के  लिए  हमारा  देश  और  अधिक  क़र्ज़  लेगा … ज्यादा  टैक्स  जनता  पर  लगाये  जायेंगे ….  जिससे  महंगाई  और  अधिक  बढ़ेगी ….  पैसे  के  कीमत  और  अधिक  गिरेगी ….

निर्यात  फिर  घटेगा … फिर  हम  क़र्ज़  लेंगे …फिर कोम्पनीया बुलाई जायेंगी... उनको खुली छुट मिलेगी... तो  इस  चक्र  में  हम  फसते  गए … गोल -गोल  घूमते  गए ….


II. बौधिक सम्पति अधिकार  समझोता : TRIPS (Trade Related Intellectual Property Rights)


पहले सिर्फ प्रक्रिया पर ही अधिकार लिया जाता था......

और अब WTO के हिसाब से प्रक्रिया और उत्पाद दोनों के लिए PATENT लेना होगा....

अभी तक कृषि और खाद सुरक्षा, जरूरी दवाओ में Patent नहीं दिया जाता था..... पर अब देना होगा....


पटेंट लेने वाली कंपनी ही उन बीजों का उत्पादन, वितरण कर सकता हे....


1970 के हमारे पुराने पटेंट कानून को बदला गया सिर्फ WTO के हिसाब से....

यह पटेंट 20 साल के लिए दिए जायेंगे.... कंपनी मनमाने ढंग से बाज़ार पे अतिक्रमण करेगी... और फिर थोरा सा फ़ॉर्मूला बदल के फिर अगले 20 सालो का पटेंट ले लेगी....

भारत में   32 crore acre   में खेती की जाती हे....    22 क्रोर टन अनाज का उत्पादन होता हे.... हजारो लाखो टन बीज की जरूरत होती हे..... तो अगर किसी कंपनी ने किसी ख़ास बीज का पटेंट करा लिया तो दूसरी कोई कंपनी उसे बना नहीं सकती बेच नहीं सकती... किसान उसे बना नहीं सकते.... उन्हें सिर्फ उसी कंपनी से ही खरीदना होगा....


हमारे यहाँ गाय का दूध, जमीन ही सम्पति हे....    जानकारी, ज्ञान को दो या दो से अधिक लोग उपयोग कर सकते हे...... हमारे यहाँ बोला जाता हे... की ज्ञान बाटने से ही बढ़ता हे.....ज्ञान को लोगो के साथ नहीं जोड़ा गया.....  कभी लाभ के लिए नहीं माना गया....  पर इन विदेशियों ने इसपर भी अधिकार ज़माना शुरू कर दिया.... हमारे नीम, हल्दी चन्दन और कई चीजों का पटेंट कर लिया हे....



III.   सेवा शेत्र:  


बैंक, बीमा, परिवहन, दूरसंचार, मीडिया,  ADD,  स्वस्थ्य, शिक्षा.....इसमें शामिल किया गया.....
Article 2 :  सरकारी और सैनिक को छोर के सभी शेत्रो को विदेशो के लिए खोलना होगा.....
Switzerland का 90%   income इसी शेत्र से आता हे.....
  जेर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, america  का  2/3 से ज्यादा रोजगार इसी शेत्र में हे....

कृषि, उद्योग और सेवा शेत्र       अगर इन तीनो पे कब्ज़ा कर लिया तो किसी भी देश का कोई भी दूसरा शेत्र आसानी से नियन्त्र में आ जायेंगे........


WTO  के समझोते के रास्ट्रीय अर्थव्यस्थाओ और प्रथिक्मिताओ का कोई महत्व नही रह जाता...

क्योकि Article 16 para 4:  सदस्य देशो को समझोते के अनुरूप अपने नियम कानून बदलने होंगे...
हमारी संप्रभु संसद की क्या हैसियत रहेगी... सिर्फ  clerk की ही रहेगी....

राज्यों के शेत्र:  :::==>         कृषि,    कृषि    पर subsidy ,      गरीबो को सस्ता अनाज,  सेवा शेत्र,    शिक्षा,  सफाई   और  उद्योग.

सविंधान का मूल सिधांत  हे.....:   बिना राज्यों की सहमति  के उनके  अधिकारों में कोई कटोती नहीं की जा सकती.... इसके लिए सविंधान में राज्य सूचि दे राखी हे..
सविंधान के  Article 249 :   राज्यों से 2/3 बहुमत से पास करा के ही कोई केंद्र राज्यों के लिए कानून बना सकता हे....
Article 252   :
राज्यों की permission ले  के ही उनके लिए कानून बना सकते हे.... 

पर केंद्र ने बिना पूछे इसमें हस्ताक्षर किये.......   आखिर यह किसके कहने पे किया.... किसके लिए किया.... इसके फेलाने की बहुत जरूरत हे......



विकसित देशो के 10 बांको के पास दुनिया की  2/3  पूजी हे.....

जापान के 3 बेंको के पास भारत के GDP से 3 गुना ज्यादा पूजी हे....

 
 1980 में अमेरिका pressure फॉर Liberalisation शुरू हुआ.... अफ्रीकी देशो में विदेशी सामान भर गए,,  निगेरिया, सोमालिया, इथोपिया....आदि देशो में उनका सामान बिकना बंद हो गया.... उसके बाद बहार का सामान महंगा हो गया... फिर वह भुकमरी की समस्या विकराल रूप में पैदा हुई...
 बीच में  1983 में Nigeria ने अमेरिका गेहू पर प्रतिबन्ध लगा दिया... Nigeria के किसानो के कसाबा, ज्वर, बाजरा का उत्पादन बढाया.... तो अमेरिकी कंपनी Kargil ने Nigeria govt. पे pressure बढाया.....nigeria  का कपड़ा अमेरिका में बंद करके.....  तो उसके बाद Nigeria ने फिर अपने बाज़ार अमेरिकी कोम्पनीयू के लिए खोल दिए....   

1950 में Liberalisation शुरू हुआ अमेरिका में.....

1950-1960 तक अमेरिका में   30% तक छोटे छोटे किसान समाप्त हो गए...
1960-1970   तक 26% और कम हुए....
1970-1995   तक 10% हे रह गए...
2005   me     3%-4%   ही रह गए...      
बड़ी बड़ी जजीने किसी एक बड़े आदमी या फिर कम्पनीयों के पास चली गयी....

मतलब   50 - 55  सालो   में   96%  किसान   समाप्त   हो   गए.....
.

GATT से पहले भारत में बीजों का उत्पादन पब्लिक सेक्टर की कम्पनीय हे करती थी..  या फिर छोटे छोटे हिस्सों में कुछ कम्पनीय बनती थी... और यह दूसरी कम्पनीय द्वारा बनाई हुई बीजों का उत्पादन करने के लिए भी आज़ाद थी.... किसान भी खुद बना सकते थे... और बेच सकते थे..... परुन्तु....GATT से यह सब बंद हो गया.....

उदहारण:   चावल के फसल में  अगर  'blast '  नामक रोग हो गया... और किसी कंपनी ने ऐसा बीज बनाया जो 'ब्लास्ट'   रोग से free हो तो कोई दूसरी कोम्पन्यी या संगठन यह बीज नहीं बना सकती या बेच सकती...... इस प्रकार यह उस कंपनी की एकाधिकार हो गया....

तो यह समझोता पूर्ण रूप से देश को गुलाम बनाने.. व् विदेशी कोम्पनीएयो के हाथो में बेचने... व् हमारे गृह उद्योगों को ख़तम करने के लिए ही हे..... चाहे कोई भी सरकार आये... इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. ..हम युही धीरे धीरे गुलामी की और ही बढ़ रहे हे......   यह सिलसिला तब जारी रहेगा जब तक हम इस WTO से बहार नहीं आएगा....  












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10 June 2013

मधुमेह (डायबिटीज) का इलाज़




आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डाईबेटिस भारत मे 5 करोड़ 70 लाख लोगोंकों है और 3 करोड़ लोगों को हो जाएगी अगले कुछ सालों मे सरकार ये कह रही है | हर दो मिनट मे एक मौत हो रही है डाईबेटिस से और Complications तो बहुत हो रहे है... किसी की किडनी ख़राब हो रही है, किसीका लीवर ख़राब हो रहा है किसीको ब्रेन हेमारेज हो रहा है, किसीको पैरालाईसीस हो रहा है, किसीको ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसीको कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है Complications बहुत है खतरनाक है |

जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सुलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं, उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रेागी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।

तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है के आप इन्सुलिन पर जादा निर्भर न करे क्योंकि यह इन्सुलिन डाईबेटिस से भी जादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है |

इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
आयुर्वेद की एक दावा है जो आप घर मे भी बना सकते है -
1. 100 ग्राम मेथी का दाना
2. 100 ग्राम तेजपत्ता
3. 150 ग्राम जामुन की बीज
4. 250 ग्राम बेल के पत्ते
इन सबको धुप मे सुखाके पत्थर मे पिस कर पाउडर बना कर आपस मे मिला ले, यही औषधि है |

औषधि लेने की पद्धति : सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ लेले फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले लेले | तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है | देड दो महीने अगर आप ये दावा ले लिया और साथ मे प्राणायाम कर लिया तो आपकी डाईबेटिस बिलकुल ठीक हो जाएगी |

ये औषधि बनाने मे 20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तिन महिना तक चलेगी और उतने दिनों मे आपकी सुगर ठीक हो जाएगी |
सावधानी :

1. सुगर के रोगी ऐसी चीजे जादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे जादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली जादा हो रेशेदार चीजे जादा खाए| सब्जिया मे बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज जादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है |

2. चीनी कभी ना खाए, डाईबेटिस की बीमारी को ठीक होने मे चीनी सबसे बड़ी रुकावट है | लेकिन आप गुड़ खा सकते है |

3. दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना |

4. प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन मे खाना न बनाए |

5. रात का खाना सूर्यास्त के पूर्व करना होगा |

जो डाईबेटिस आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दावा पूरी जिन्दगी खानी पड़ेगी पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=oiRf-LLSq0U

04 June 2013

डेरी किसान व् दुग्ध उद्योग खतरे में ...


हमारे बड़े भाई स्वरुप / हमारे गुरु देवेन्द्र शर्मा के ब्लॉग से हिंदी में रूपांतरित किया हुआ:




जरूर देखें और फेलायें : 

https://www.youtube.com/watch?v=JqD7oapb8ns&list=UUDzt-L-blq4TYjMPpIlJSew&index=29


भारत में दुग्ध उत्पादक बड़ी मुसीबत में है। बढ़ी हुयी लागत और कम होती कीमतों ने उन्हें पीछे धकेल दिया है .. परन्तु ग्राहक के मूल्य यथास्थित हैं, जो कम होने के कोई भी निर्देश नहीं दे रहे ।

जब एनसीपी  नेता प्रफुल पटेल ने एफ डी आई इन रिटेल की बहस के दौरान बोला की कैसे बारामती, महारास्त्र, में कृषि मंत्री शरद पवार ने भरोसा दिया की दुग्ध उत्पादकों को कम से कम Rs 20 लीटर का मूल्य मिलेगा, तो मुझे हंसी आयी । यह कोई उचित मूल्य नहीं है , बल्कि किसानों को दुःख देने वाला ही है। सभी कॉर्पोरेट और प्राइवेट प्लांट्स इसके आस पास ही मुल्य दे रहे हैं ।  

दूध के तैयार बड़े भंडार, लेकिन कमजोर निर्यात मांग, के कारण  दुग्ध उद्योग अपने नुक्सान कम करने की कोशिश कर रहा  है । इसलिए वह अपने नुक्सान को मूलतः सुरुवाती किसानों पर ढोने की कोशिश कर रहा है । और इस तरह की स्थिति भारत के लिए कोई अच्छी नहीं है । इसलिए यह जान्ने की कोशिश करें की कैसे अंतररास्ट्रीय समुदाय ने कदम उठाये ...

2009,  कैलिफ़ोर्निया में 1,800  में से लगभग 20 प्रतिशत दुग्ध फर्म्स, चारे व् यातायात की बढ़ी हुयी कीमत की वजह से बंद हो गयी । इसी तरह 2009 में जब अन्त्रास्त्रीय बाजार में दूध की कीमत गिरी, यूरोपियन समूह ने WTO की शर्ते खारिज करते हुए  से दूध में सब्सिडी शुरू करी  । इसमें 3600 करोड़ की सब्सिडी शामिल थी ताकि दूधिये अपने नुक्सान की भरपाई कर सके ।

अमेरिका और यूरोपियन समूह हमेश अपने डायरी किसानों को बचने की कोशिश ही की है । मुझे ये बात समझ में नहीं आती की क्यों हमारे यहाँ गृह दूधियों को बर्बाद होने दिया जा रहा है जबकि कीमत गिरने में उनका कोई  नहीं । जब प्राइवेट और सहकारिता उद्योग ने दूध की कीमत को
Rs 20.50 तक गिर दिया , तो फिर जानवरों को पलना खर्चीला ही होगा । पंजाब गुजरात महारास्त्र, और राजस्थान में बहुत ही किसानों ने दूध उत्पादन छोर दिया ।

अब देखते है कैसे यूरोप कैसे सामना किया इस मुश्किल से । यूरोपियन समूह में करीब 10 लाख डेरी किसान हैं । पूरा मिला के ये भारत या अमेरिका से ज्यादा दूध उत्पादन करते हैं । WTO के हिसाब से , एरोपेअन समूह ने अपनी डेरी सब्सिडी को ख़तम करना होगा ।  परन्तु कौन परवाह करता है जब ये घरेलु मामला बन जाता है । यूरोपियन समूह ने दुबारा सब्सिडी देना सुरु किया ताकि उनके दूध उत्पादन को सहारा मिल सके और साथ ही एक्सपोर्ट को भी । यह करने से यूरोपियन समूह पुरे विश्व  बाजार के लगभग 32 प्रतिशत मात्रा पर कब्ज़ा कर सका  ।

डेरी फार्मर ऑफ़ कनाडा (DFA ), के अनुसार EU के डेरी किसान लगभग Rs 3.96 करोड़ सब्सिडी प्राप्त होता है ।

इस तरह की भारी सब्सिडी वहां के किसानों को बाजार के उतार चढाव से बचाती है, और साथ ही उन्हें सब्सीडाइजड दूध को विकाशशील देशो में डंप करवाती है ।

एक्सपोर्ट बाजार को देखते हुए, EU ने EU-
India Free Trade Agreement (FTA) में मांग की है दूध पे टैक्स 90 प्रतिशत तक घतियी जाए ।  EU भारत को एक दूध व् दूध के प्रोडक्ट के बड़े बाजार के रूप में देखता है और चाहता है की भारत अपने घरेलु दरवाजे यूरोपियन समूह के लिए  खोले ।

कम होते फार्म्स 


अमेरिका में
1992 से डेरी फार्म्स लगभग 61 प्रतिशत  कम हो गए । और अब सिर्फ 51,480  ही डेरी फार्म्स बचे है । ये फर्म्स Rs 27,500 करोड़ रुपये प्राप्त कर चुके है 2009 से, मतलब उनके दूध की कीमत का तीसरा हिस्सा सब्सिडीइजेड है । ये सब्सिडी बिभिन्न  रूपों से  आती है: milk income loss contract payment; market loss assistance; milk income loss transitional payment; dairy economic loss assistance programme; milk marketing fees; dairy disaster assistance; and dairy indemnity.

EU अपने डायरी एक्सपोर्ट के लगभग 50 प्रतिशत को सब्सिडी देती है।
सामान्यतः कहा जाता है की अमेरिका और एरोपे के किसान सिर्फ प्राइवेट सप्लाई चैन पर ही निर्भर है .. ऐसा सच नहीं है .. मार्च
2009, के बाद EU ने एक्स्ट्रा (सरप्लस) मक्खन, दूध ख़रीदन सुरु किया। अमेरिका में भी येही किया गया । और इसके अलावा, 2002 से वहाँ दूधियों को  सीधे कैश सब्सिडी देना भी सुरु किया जब भी कीमते गिरी । 

ऐसा नहीं है की राज्य सरकारों के पास पर्याप्त साधन नहीं है .. जैसे पंजाब ने
Rs 1250 करोड़ रुपए का इंटरेस्ट फ्री लोन दिया और जिसमे 15 साल का टैक्स होलिद्य दिया स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल को बठिंडा में रेफिनारी लगाने के लिए । मुझे ये समझ में नहीं आता की सर्कार छोटे किसानो  को क्यों नहीं बचाना चाहती जो की डूब रहे हैं ।


इसलिए सरकार को चाहिए की  वे सहकारिता को सुस्बिद्य दे और जिससे मुल्य 25 rs तक कम से कम हो . दूसरा बैंक का इंटरेस्ट भी कम करना चाहिए जो की अभी
12.5 से 7 तक होना चाहिए ।

सर्कार को चाहिए की दुग्ध उत्पादकों को बचाए 
इससे पहले की वे इसको छोड़े जिससे भारत गहरी कमी में पड  जाएर और भारत को इसका बड़ा आयातक होना पड़ जाए |


सूत्र :
Milk crisis loomingDeccan Herald, Jan 5, 2013.
http://www.deccanherald.com/content/303002/milk-crisis-looming.html









29 May 2013

कोलगेट का झूट ....टूथपेस्ट में जहर ..

साथियों ...

जरूर देखें :  

https://www.youtube.com/watch?v=oga46f4op8U


इन विदेशी कंपनियों ने हमारे दिमाग पर इतना कब्ज़ा कर दिया है की हम अब आँख मूँद कर इनका सामान खरीदते है ... और बड़ा ही गर्व महसूस करते है ... हमे लगता है की हम भी मॉडर्न बन गए ... हम भी एडवांस बन गए ...

और अगर नहीं लिया तो हम अछि माँ ही नहीं ... अछि बीबी ही नहीं ... अच्छे दोस्त ही नहीं ... मतलब हम अपने आप ही आत्म-ग्लानी में डूब जाते है .... और फिर मजबूरी वश हम इनका सामान खरीदते है ... हमे लगता है की इनके सामानों की क्वालिटी बड़ी ही उच्च होती है ...

ये सब होता है लगातार सुबह साम दिखाए जाने वाले विज्ञापनों की वजह से ... जैसे सो बार लगातार एक झूट बोल जाए तो लोग उसे सच ही समझ लेते है ... ये थ्योरी जर्मन के हिटलर के सलाहकार गोबल्स की है जिसकी की आज हमारी विदेशी मीडिया पूरी तरह से अनुसरण कर रही है ....

तो जाने इनकी असलियत और करे इनका बहिस्कार ... और निकले अपने मानसिक गुलामी से .. और अपनाये स्वदेशी .... रहें अपने लोगो के करीब .... सोचें अपने आम लोगों के बारें में .. जिससे की उनको रोजगार मिल सकेगा और हमारे देश का पैसा देश में ही रहेगा ....
तो ज्यादा रोजगार सर्जन होंगें ... महंगाई कम होगी ...  गरीबी कम होगी ... एकाधिपत्य नहीं होगा इन कंपनियों का ...

कोलगेट नाम की कंपनी पहले तो कुछ भी वार्निंग नहीं लिखती थी ..लेकिन अब 1 वार्निंग लिखना सुरु कर दिया है ... जब चारो और से आवाजे आने
लगी ..अब तो इसने ग्रीन मार्क (Veg.) के लिए भी देना सुरु कर दिया है ....  पहले क्यों नहीं दे रही थी .... इसका मतलब पहले झूट बोल रही थी ....

पहले तो यह टूथपेस्ट में नमक है करके विज्ञापन देती थी .. अब बोल रही है क्या आपके टूथपेस्ट में नमक नहीं है ....

तो अपनाये कोई भी स्वदेशी हर्बल टूथपेस्ट .... या नीम की दान्तुन  .. आम की दान्तुन ..  अमरुद की दान्तुन ...




Your toothpaste may cause cancer

http://www.downtoearth.org.in/content/your-toothpaste-may-cause-cancer

Date: Sep 15, 2011 http://www.downtoearth.org.in/content/your-toothpaste-may-cause-cancer
A study finds nicotine dental products contain nicotine

Next time you brush your teeth, be careful. Some popular toothpastes and toothpowders in India have high levels of nicotine, a known carcinogen, a study has found.

Researchers at the Delhi Institute of Pharmaceutical Sciences and Research (DIPSAR) tested 10 toothpowders and 24 toothpastes brands. They found large amounts of nicotine in 11 of these non-tobacco products.

The highest amount of nicotine at 18 milligram/gram (mg/g) was found in Colgate Herbal products while 10 mg/g of nicotine was found in Neem Tulsi brand.

S. No
Brand
Nicotine found in dental care products in 2008 (mg/g)
Nicotine found in dental care products in 2011 (mg/g)
Manufacturer
1.
Vicco
0.002
0.05
Vicco laboratories, Goa
2.
Alka
dant manjan
-
1.0
Dev Chemical Works Pvt. Ltd., New Delhi
3.
Yunadant
nil
1.7
Aayam Herbal And Research, Jaipur, Rajasthan
4.
Dabur Red
5.75
0.01
Dabur India Limited, Solan, Himachal Pradesh
5.
Payo kil
nil
16
Gurukul Kangri Pharmacy, Haridwar, Uttarakhand
6.
Colgate Herbal
nil
18
Colgate Palmolive India Limited, Mumbai, Maharashtra
7.
Neem Tulsi
nil
10
Ayur Siddha Limited, Kangra, Himachal Pradesh
8.
Stoline Paste
nil
0.06
Group pharmaceuticals limited, Kolar, Karnataka
9.
Himalaya
nil
0.029
Himalaya Drug Company, Bengaluru, Karnataka
10.
Sensoform
nil
0.065
Indoco Remebies Limited, Solan, Himachal Pradesh

“Nicotine content in one cigarette is between two and three mg/g. In one of the dental care products we found the nicotine content was equivalent to that of nine cigarettes,” says Professor S S Agrawal, project director at DIPSAR.

According to the Cigarette and Other Tobacco Products Act, 2003, no non-tobacco product can contain tobacco and nicotine.

Earlier studies have found tobacco and nicotine in toothpowders. “But this is the first study that has found nicotine in toothpastes,” says P C Gupta, director, Healis Institute of Public Health, an organisation dedicated to improving public health in India and other developing countries.

In a study published in the British Medical Journal in 2004 Gupta stated that various tobacco products are used as dentrifice in India.

“Many companies take advantage of a misconception widely prevalent in India that tobacco is good for teeth,” Gupta says. The companies, therefore, package and position their products as dental care products, he adds. “A laboratory test of five samples of red tooth powder that did not declare tobacco as an ingredient found tobacco content of 9.3-248 mg/g of tooth powder,” the study stated.
“Nicotine in the toothpastes and toothpowders gets absorbed in the body when it directly comes in contact with the skin. This makes the product addictive,” Gupta notes.

"We do not use nicotine or any other tobacco substance as an ingredient in any of our products," says company spokesperson for Colgate. "We have contacted S S Agarwal to learn about the details of his research," the spokesperson adds.


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जरूर सुनें, डाउनलोड करें और फेलायें :  http://www.youtube.com/watch?v=hBXx2ROlCBg


मित्रो हम लोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सड़न दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | अब आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे होंगे ? और सब के सांस से बदबू आती होगी ? अब आपके दादा - दादी के जमाने मे तो colgate होता नहीं था तो दादा दादी साथ बैठते थे या नहीं ???

तब आपको जवाब मिलेगा पहले सभी नीम का दातुन करते थे ! अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगड़ो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया | अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैं, जब कि है उल्टा | जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे ज्यादा बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | !! और ये dicalcium phosphate तो सब जानते है जानवरो की हड्डियों को bone crusher machine मे पीसा जाता है और फिर उससे dicalcium phosphate बनता है !
यहाँ click कर देखे !

http://youtu.be/hBXx2ROlCBg

जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है fluoride (फ्लोराइड) | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | और कोई भी toothpaste जिसमे fluoride होता है और 1000 ppm से ज्यादा होता तो है तो वो toothpaste toothpaste नहीं रहता जहर हो जाता है !


अब ये बात मैं अगर कोर्ट मे जाकर बोलूँगा तो कोर्ट मेरी बात मानेगा नहीं ! वो पूछेगा आपके पास दाँतो की डाक्टरी का certificate है क्या ??? जबकि मुझे मालूम है कि 1000 ppm से ज्यादा fluoride है किसी toothpaste मे तो वो जहर है ! मतलब इस देश का कानून इतना घटिया है ! कि कोर्ट मेरी बात तब मानेगा जब मेरी पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री होगी और इसके लिए dentist होना पड़ेगा !! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री है वो कोर्ट मे जा नहीं रहे ! और जिनके पास दाँतो की डाक्टरी की डिग्री नहीं है वो मेरे जैसे बाहर बैठे खिसया(गुस्सा) रहे है ! और धड्ड्ले से इस देश मे colgate बिक रहा है !

अक्सर मैं लोगो से पूछता हूँ कि आप colgate क्यूँ करते हैं ??? तो वो कहते है इसमे quality बहुत है ! तो मैं पूछता हूँ अच्छा क्या quality है ?? तो वो कहते है कि इसमे झाग बहुत बनता है तो मैं कहता हूँ भाई झाग तो RIN मे भी बहुत बनता है ! झाग तो AIRL मे भी बहुत बनता है ! और झाग तो shaving cream मे सबसे ज्यादा बनता है तो उसी से दाँत साफ कर लिया करो अगर झाग ही चाहिए आपको ! ये पढे लिखे मूर्खो के उत्तर है ! बिना पढ़ा लिखा आदमी कभी ऐसा जवाब नहीं देता ! और ये जवाब पता मुझे कहाँ मिला ! दिल्ली university मे मैं भाषण कर रहा था department of mathematics मे !
वहाँ के प्रोफेसर ने उत्तर दिया कि colgate मे बहुत बढ़िया quality है झाग बहुत बनता है ! तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप dental cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ?? airl से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते shaving cream से दाँत क्यूँ नहीं साफ करते ??? सबसे ज्यादा झाग तो उसी मे बनता है ! तो प्रोफेसर एक दम चुप हो गया !!

तो बोला अच्छा आप ही बताओ quality क्या होती है ?? तो मैंने कहा प्रोफेसर साहब आप mathematics के प्रोफेसर होकर ये नहीं जानते कि quality क्या होती है ? तो क्यूँ ? चिलाते हैं quality होती है ! आप सीधा कहो हमे नहीं पता quality क्या होती है हम तो tv मे विज्ञापन देख कर बस घर उठा लाते हैं ! तो मैंने उनका उनको कहा कि colgate tooth paste बनता किस्से है उसकी quality क्या है ये समझने की जरूरत है !! तो वो mathematics के थे थोड़ा chemistry भी जानते थे ! तो मैंने कहा chemistry मे एक कैमिकल होता है जिसका नाम है Sodium Lauryl Sulphate | उससे colgate बनता है ! क्यूंकि Sodium Lauryl Sulphate डाले बिना किसी भी toothpaste मे झाग पैदा नहीं हो सकता !


आप मे से थोड़े भी chemistry पढे लिखे लोग है तो Sodium Lauryl Sulphate के बारे मे chemistry की dictionary मे आप देख लीजिये ! उसके सामने लिखा हुआ है poison (जहर) है ! 0.05 मिलीग्राम मात्रा मे शरीर मे चला जाये ! तो cancer कर देता है ! और ये colgate ,closeup pepsodent , मे भरपूर मात्रा मे मिलाया जाता है !

धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |

और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता |

आपको एक और जानकारी देता हूँ | ये colgate कंपनी जब अपने देश अमेरिका मे toothpaste बेचती है ! तो उस पर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | जैसे हमारे देश मे सिगरेट पर लिखा जाता है न सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है !! ऐसी ही वहाँ colgate पर लिखा जाता है !
लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उस पर क्या लिखते हैं !

"please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years
_________________________________________________________-
" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | (और हमारे यहाँ छोटे छोटे बच्चो से ये कंपनी विज्ञापन करवाती है !)

और आगे लिखते हैं "

In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately
___________________________________________________________________
, मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "

If you are an adult then take this paste on your brush in pea size
___________________________________________________
" मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | और जानबूझ बच्चो से विज्ञापन करवाया जाता है !! और ये अमेरीकन कंपनिया की चाल बाज है !! 1991 ये टीवी पर विज्ञापन दिखाते थे ! आम toothpaste में होता है नमक !! लीजिये colgate saltfree ! और अब बोलते है !! क्या आपके toothpaste मे नमक है ??


2-3 माहीने के बाद लेकर आ गए ! colgate max fresh !!


2-3 महीने ये बेच कर लोगो को बेवकूफ बनाया !! फिर नाम बदल कर ले आये ! colgate sensitive ! इसे अपने sensitive दाँतो आर मसाज करे !! और विज्ञापन ऐसा दिखाते हैं !! जैसे ये कोई सच मे सर्वे कर रहे हैं !! हमारे दिमाग मे एक मिनट के लिए भी नहीं आता ! कि कंपनी ने विज्ञापन देने ए लिए लाखो रुपए खर्च किए है ! तो वो तो अपने जहर को बढ़िया ही बताने वाले हैं !


2-3 महीने इस नाम से बेचा अब नाम बदल कर रख दिया है ! colgate anti cavity !! थोड़े दिन इसको बेचेंगे फिर नाम बदल देंगे !!
!
हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती जो ये कंपनी अपने देश अमेरिका मे लिखती है हमारे देश मे उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |

यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................
From: 
Date: Tue, May 31, 2011 at 6:04 PM
Subject: In response to your Colgate communication #022844460A
To: prakriti.pune@gmail.com

May 31, 2011

Ref: 022844460A

Mr. Rakesh Chandra Rakesh
B 13 Everest Heights Behind Joggers
Near Khalsa Dairy
Viman Nagar
Pune 411014
Maharashtra
India

Dear Mr. Rakesh,

Thank you for contacting Colgate-Palmolive (India) Limited.

"The labelling requirements of cosmetic preparations like toothpaste in India are governed by the drugs and cosmetics regulations. We are fully complying with those regulations.In addition, we have incorporated an additional direction (i.e. Dentists recommend parents supervise brushing with a pea-size amount of toothpaste, discourage swallowing and ensure children spit and rinse afterwards) with a view to guiding the parents of children under 6 years of age using toothpaste."

We greatly value your patronage of Colgate-Palmolive products.

Regards,

COLGATE PALMOLIVE (INDIA) LIMITED

Abilio Dias
Consumer Affairs
Communications
http://www.natural-health-information-centre.com/sodium-lauryl-sulfate.html

और
http://www.fluoridealert.org/issues/dental-products/toothpastes/

इन दोनों लिंक को समय निकाल कर पढने का कष्ट करेंगे तो आपके लिए अच्छा होगा | आप जिस भी पेस्ट के INGREDIENT में इस केमिकल का नाम देखिये तो उसे कृपा कर के इस्तेमाल मत कीजिये, अपना नहीं तो अपने बीवी-बच्चो का तो ख्याल कीजिये, अगर शादी नहीं हुई है तो अपने माता-पिता का ख्याल तो कीजिये |

विकल्प (पेस्ट नहीं करे तो क्या करें ??)

यहाँ मैं महर्षि वाग्भट (3000 साल पहले भारत मे हुये एक sant 135 वर्ष कि उम्र तक जिये )के अष्टांग हृदयम का कुछ हिस्सा जोड़ता हूँ, जिसमे वो कहते हैं कि दातुन कीजिये |
दातुन कैसा ? तो जो स्वाद में कसाय हो, कसाय समझते हैं आप ? कसाय मतलब कड़वा और नीम का दातुन कड़वा ही होता है और इसीलिए उन्होंने नीम के दातुन की बड़ाई (प्रसंशा) की है |एक दूसरा दातुन बताया है, वो है मदार का, उसके बाद अन्य दातुन के बारे में उन्होंने बताया है जिसमे बबूल है, अर्जुन है, आम है, अमरुद है, जामुन है, ऐसे 12 वृक्षों का नाम उन्होंने बताया है जिनके दातुन आप कर सकते हैं |

चैत्र माह से शुरू कर के गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातुन करने के लिए उन्होंने बताया है, सर्दियों में उन्होंने अमरुद या जामुन का दातुन करने को बताया है , बरसात के लिए उन्होंने आम या अर्जुन का दातुन करने को बताया है | आप चाहें तो सालों भर नीम का दातुन इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन उसमे बस एक बात का रखे कि तीन महीने लगातार करने के बाद इस नीम के दातुन को 20 दिन का विश्राम दे | इस अवधि में मंजन कर ले | दन्त मंजन बनाने की आसान विधि उन्होंने बताई है, वो कहते हैं कि आपके स्थान पर उपलब्ध खाने का तेल (सरसों का तेल. नारियल का तेल, या जो भी तेल आप खाने में इस्तेमाल करते हों, रिफाइन छोड़ कर ), उपलब्ध लवण मतलब नमक और हल्दी मिलाकर आप मंजन बनाये और उसका प्रयोग करे | दातुन जब भारत के सबसे बड़े शहर मुंबई में मिल जाता है तो भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं होगा जहाँ ये नहीं मिले |

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जाते जाते एक अंतिम बात !

जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा | और अमेरिका ने नीम पर patent ले लिया है !


इस देश के लोग हर साल 1000 करोड़ का tooth paste का जहर मुंह मे घूमा कर पैसा विदेशी कंपनी को दे देते हैं ! और यहाँ अगर आप नीम का दातुन करे तो ये 1000 हजार करोड़ देश के गरीब लोगो को जाएगा !! किसानो को जाएगा जो बेचारे चौराहो पर बैठ कर नीम का दातुन बेचते हैं !!

अब आप कहेंगे अगर सब लोग नीम का दातुन करेंगे ! तो एक दिन नीम का झाड खत्म हो जाएगा ! उसका भी के उपाय है !
घर के बाहर नीम का पेड़ लगा है तो 200 तरह के वाइरस और बेक्टीरिया आपके घर मे नहीं घुसेंगे और एक नीम का पेड़ 1 साल में 15 लाख रूपये की आक्सीजन देता है ! अगर आप संकल्प ले कि आप अपने हर जन्मदिन पर 1 नीम का पेड़ लगाएँगे और मान लो आपके 50 जन्मदिन आयें और आपने 50 नीम के पेड़ लगाये ! तो 50 x 1500000 (15 लाख ) = 7.50 करोड़ तो (साढ़े सात करोड़) की आक्सीजन आप देश को दान देंगे ! और अगर कोई आप से ऐसे मांग ले कि भाई साढ़े सात करोड़ देश के लिए दे दो ! तो आप कहेंगे है ही नहीं ! और इतने नीम के पेड़ होने से देश मे बढ़ रही प्रदूषण की समस्या भी हल हो जाएगी !!

आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!


वन्देमातरम 




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